प्रिय डोगरा जी, आपका सिम्बोल चयनित सिम्बोल से मेल खाता है. किन्तु सेलेक्टिओं द्वारा भ्रस्ताचार किया गया. आपके स्क्रिप्ट जूरी ने रीड नहीं किया. आप ने एक गलती की है. सरकारी साहेब इंग्लिश पसंद करते है. आप ने रोमन लिपि का प्रयोग नहीं किया. आप ने एकदम प्रतियोगिता के रूल्स को अपनाया है. आपने भारतीय संस्कृत के आधार पर बनाया है. मैकाले मानसिकता का ख्याल नहीं किया. यही आप की असफलता का कारण है. दूसरी गलती यह की आप अपने साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ आप चुप बैठे है. आपको हाई लेबिल पर शिकयत करनी चाहिए या कोर्ट जाना चाहिये. अभी कुछ नहीं bigra है. कई प्रतियोगियों ने इस भ्रस्ताचार को suchana का अधिकार एक्ट २००५ के तहत खुलाशा किया है. जिसका पूरा विवरण गूगल में जाकर इंग्लिश में saveindianrupeesymbol.org टाइप करके रीड कर सकते है. आप के सिम्बोल को न्याय न मिलने का मुझे अफसोस है और जिन्दगी भर रहेगा. धन्यावद.
उत्तर देने के लिए आपको भी, धन्यवाद. कृपया मेरी जिज्ञाषा का समाधान करने का कस्ट करे. पहला यह की जूरी द्वारा बिना स्क्रिप्ट के स्य्म्बोल का मुलायंकन करना कहा तक उचित है. इतना ही नहीं, बिना स्क्रिप्ट देखे ही टॉप ५ के परिणाम घोषित कर दिया गया. टॉप ५ के स्क्रिप्ट प्र्स्तुतिकर्ण के दिन देखे गए. दूसरा यह के २९ एंड ३० सेप्टेम्बर २००९ की जूरी की मीटिंग में ३ मेम्बर अनुपस्थित थे. औसत एक स्य्म्बोल को १८ सेकेंड का समय दिया गया. २९ एंड ३० को १०८ स्य्म्बोल चयन किये गए और १६ नवंबर, २००९ {तीसरी और अंतिम बैठक} को मात्र ३ घंटे में १०८ में से टॉप ५ सेलेक्ट गए वह भी बिना स्क्रिप्ट के. तीसरा यह की केवल टॉप ५ को नम्बर एंड ग्रेड दिया गया और किसी को नहीं. आप इसका उत्तर जरुर प्रदान करे. यह अन्य प्रतिभागियों के ऊपर आपका एहसान होगा.
7 comments:
You Win , Sir...
Congratulations !!!!!
Congratulations bro. Awesome idea. Very close to what has been chosen. Thought it was yours initially. Good stuff.
Thanks Savio. Really liked your photographs.
प्रिय डोगरा जी, आपका सिम्बोल चयनित सिम्बोल से मेल खाता है. किन्तु सेलेक्टिओं द्वारा भ्रस्ताचार किया गया. आपके स्क्रिप्ट जूरी ने रीड नहीं किया. आप ने एक गलती की है. सरकारी साहेब इंग्लिश पसंद करते है. आप ने रोमन लिपि का प्रयोग नहीं किया. आप ने एकदम प्रतियोगिता के रूल्स को अपनाया है. आपने भारतीय संस्कृत के आधार पर बनाया है. मैकाले मानसिकता का ख्याल नहीं किया. यही आप की असफलता का कारण है. दूसरी गलती यह की आप अपने साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ आप चुप बैठे है. आपको हाई लेबिल पर शिकयत करनी चाहिए या कोर्ट जाना चाहिये. अभी कुछ नहीं bigra है. कई प्रतियोगियों ने इस भ्रस्ताचार को suchana का अधिकार एक्ट २००५ के तहत खुलाशा किया है. जिसका पूरा विवरण गूगल में जाकर इंग्लिश में saveindianrupeesymbol.org टाइप करके रीड कर सकते है. आप के सिम्बोल को न्याय न मिलने का मुझे अफसोस है और जिन्दगी भर रहेगा. धन्यावद.
सहानुभूति के लिये बहुत बहुत धन्यवाद, राकेस जी.
उत्तर देने के लिए आपको भी, धन्यवाद. कृपया मेरी जिज्ञाषा का समाधान करने का कस्ट करे. पहला यह की जूरी द्वारा बिना स्क्रिप्ट के स्य्म्बोल का मुलायंकन करना कहा तक उचित है. इतना ही नहीं, बिना स्क्रिप्ट देखे ही टॉप ५ के परिणाम घोषित कर दिया गया. टॉप ५ के स्क्रिप्ट प्र्स्तुतिकर्ण के दिन देखे गए. दूसरा यह के २९ एंड ३० सेप्टेम्बर २००९ की जूरी की मीटिंग में ३ मेम्बर अनुपस्थित थे. औसत एक स्य्म्बोल को १८ सेकेंड का समय दिया गया. २९ एंड ३० को १०८ स्य्म्बोल चयन किये गए और १६ नवंबर, २००९ {तीसरी और अंतिम बैठक} को मात्र ३ घंटे में १०८ में से टॉप ५ सेलेक्ट गए वह भी बिना स्क्रिप्ट के. तीसरा यह की केवल टॉप ५ को नम्बर एंड ग्रेड दिया गया और किसी को नहीं. आप इसका उत्तर जरुर प्रदान करे. यह अन्य प्रतिभागियों के ऊपर आपका एहसान होगा.
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